एड्स मुक्त समाज निर्माण के लिए श्री श्री विश्वविद्यालय की ज़िम्मेदारी
कभी-कभी
मनुष्य को अपने स्वाभाविक और सामान्य कार्यों के अतिरिक्त भी कुछ अधिक करने की
आवश्यकता आ पड़ती है। दूसरे अर्थों में कहें तो मनुष्य को अपनी स्वाभाविक
जीवनचर्या से भिन्न कुछ ऐसा करना आवश्यक हो जाता है, जिससे पूरी दुनिया उसे याद रखे। क्योंकि दुनिया के मंगल हेतु उसके लिए कुछ
करना अनिवार्य हो जाता है। ठीक ऐसा ही एक अवसर श्री श्री विश्वविद्यालय अंतर्गत
आयुर्वेद महाविद्यालय और नर्सिंग विभाग के विद्यार्थियों के समक्ष गत
दिसंबर माह की 1 तारीख को आया था। दिसंबर 1 तारीख का नाम लेते ही हममें से अधिकांश को इसे समझने
में कोई कठिनाई नहीं होती। क्योंकि यह दिन है अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस। इस उपलक्ष्य में समस्त कटक
शहर ने भी एक अद्भुत दृश्य देखा। श्री श्री विश्वविद्यालय और एससीबी मेडिकल कॉलेज
के विद्यार्थी जागरूकता के पुरोधा बनकर सज गए थे। उनके नेतृत्व में
जागरूकता, सामाजिक ज़िम्मेदारी और युवाशक्ति
से निर्मित विशाल मानवस्रोत ने पूरे शहर में एक नई जागृति पैदा कर दी। युवाशक्ति
की सामर्थ्य और जागरूकता से कटकवासी प्रेरित हो उठे। एड्स की भयावहता कितनी गहरी
है, इसे उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हृदय से अनुभव किया।
यह जागरूकता शोभायात्रा ठीक एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर से निकली। इसमें कटक बड़े मेडिकल के विद्यार्थी और फैकल्टी ने भाग लिया, साथ ही उनसे जुड़े नराज स्थित श्री श्री विश्वविद्यालय के नर्सिंग विभाग के विद्यार्थियों भी सम्मिलित हुए। समाज में एड्स को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से इस यात्रा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों ने शहर के विभिन्न महत्त्वपूर्ण स्थानों पर एड्स विरोधी नारे दिए। एड्स उन्मूलन हेतु एकजुट होने के साथ उन्होंने उज्ज्वल भविष्य निर्माण के लिए भी आह्वान किया। स्थानीय जनता को सरल भाषा में एड्स की भयावहता समझाई गई। कटक में ऐसी जागरूकता उत्पन्न करने के लिए श्री श्री विश्वविद्यालय के नर्सिंग विद्यार्थियों की विभागीय डीन प्रोफेसर (डॉ.) जइता मंडल सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने हृदय से प्रशंसा की।
सिर्फ कटक शहर ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में भी महामारी एड्स से बचाव हेतु जनजागरण हुआ। प्रथम दिसंबर की ठंडी दोपहर में जब श्री श्री विश्वविद्यालय की ‘आइकोनिक बिल्डिंग’ के सामने विद्यार्थी एकत्रित हुए, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वे स्वयं तथा भावी पीढ़ी के लिए एक नया अध्याय लिखने वाले हों। वे अपने आगामी विद्यार्थियों के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करने जा रहे हों। यह बात अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम द्वारा सत्य सिद्ध हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय परिसर से एक शोभायात्रा निकली। विद्यार्थियों के कदमों में अनगिनत आशाएँ थीं, हाथों में जागरूकता पोस्टर तथा मुख पर एड्स विरोधी नारे— “एड्स ज्ञान, जीवन का प्राण...”। श्री श्री आयुर्वेद महाविद्यालय द्वारा आयोजित यह पदयात्रा आयुर्वेद चिकित्सालय परिक्रमा कर विश्वविद्यालय की ओर अग्रसर हुई।
पदयात्रा के
बाद विद्यार्थियों द्वारा लिखे नारों वाले पोस्टर प्रतियोगिता ने सबका
मन जीत लिया। विशेष रूप से हृदयस्पर्शी नारे लिखने वाले विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान कर उत्साहित किया गया। इस अवसर पर तालियों की
गड़गड़ाहट से पूरा परिसर गूँज उठा। प्रोफेसर (डॉ.) प्रदीप कुमार पंडा, प्रोफेसर (डॉ.) क्षीराब्धि तनया राउतराय, प्रोफेसर (डॉ.) रमाकांत राउत, डॉ. पद्मलोचन शंखुआ, डॉ. देवाशीष शतपथी, डॉ. ध्रुव प्रसाद, डॉ. संजीव कुमार दास तथा डॉ. प्रियंका प्रियदर्शिनी
आदि ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
इससे स्पष्ट होता है कि यह पदयात्रा विश्वविद्यालय की दृढ़ इच्छाशक्ति और समाज के प्रति दायित्व को प्रतिबिंबित कर रही थी। ऐसे समाजधर्मी कार्यक्रम के लिए कुलाध्यक्षा प्रोफेसर रजिता कुलकर्णी, कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) तेजप्रताप, कुलसचिव प्रोफेसर (डॉ.) अनिल कुमार शर्मा और कार्मिक निदेशक स्वामी सत्यचैतन्य ने आयोजक विद्यार्थियों तथा अधिकारियों को शुभकामनाएँ दीं। उनके अभिनंदन के साथ-साथ यह एक नई जिम्मेदारी की घोषणा की भाँति भी प्रतीत हो रहा था।
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ଏଡ୍ସ ମୁକ୍ତ ସମାଜ ଗଠନ ପାଇଁ
ଶ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟର ଦାୟିତ୍ୱ
ବେଳେ ବେଳେ ନିଜର
ସ୍ୱାଭାବିକ ଓ ସାମାନ୍ୟ କାର୍ଯ୍ୟ ବ୍ୟତୀତ ମଣିଷ ଅଧିକ କିଛି କରିବାର ଆବଶ୍ୟକତା ଆସି ଉପନୀତ ହୁଏ
। ଅନ୍ୟ ଅର୍ଥରେ କହିବାକୁ ଗଲେ ମଣିଷ ନିଜର ସ୍ୱାଭାବିକ ଜୀବନଚର୍ଯ୍ୟାଠାରୁ ଭିନ୍ନ କିଛି ଏପରି
କରିବା ଆବଶ୍ୟକ ହୋଇପଡ଼େ, ଯେପରିକି ସାରା ଦୁନିଆ ତା'କୁ ମନେ ରଖିବ । କାରଣ ଦୁନିଆର ମଙ୍ଗଳ ନିମନ୍ତେ ସେ କିଛି କରିବା
ଅନିବାର୍ଯ୍ୟ ହୋଇପଡ଼େ । ଠିକ୍ ସେହିପରି ଏକ ଅବସର ଶ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ଅନ୍ତର୍ଗତ
ଆୟୂର୍ବେଦ ମହାବିଦ୍ୟାଳୟ ଓ ନର୍ସିଂ ବିଭାଗ ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନଙ୍କ ନିକଟରେ ଚଳିତ ଡିସେମ୍ବର ମାସ 1
ତାରିଖ ଦିନ ଆସି ଉପନୀତ ହୋଇଥିଲା । ଡିସେମ୍ବର 1 ତାରିଖ କହିଲେ, ଆମମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ
ଅଧିକାଂଶଙ୍କର ବୁଝିବାରେ କିଛି ଅସୁବିଧା ହୁଏନାହିଁ । କାରଣ ସେ ଦିନଟି ହେଉଛି ଅନ୍ତର୍ଜାତୀୟ
ଏଡ୍ସ ଦିବସ । ଏହି ଉପଲକ୍ଷେ ସମଗ୍ର କଟକ ସହର ମଧ୍ୟ ଦେଖିଥିଲା ଏକ ଅପୂର୍ବ ଦୃଶ୍ୟ । ଶ୍ରୀ ଶ୍ରୀ
ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ଏବଂ ଏସସିବି ମେଡିକାଲ କଲେଜର ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନେ ସାଜିଥିଲେ ସଚେତନତାର ପୁରୋଧା
। ସେମାନଙ୍କ ନେତୃତ୍ୱରେ ସଚେତନତା, ସାମାଜିକ ଦାୟିତ୍ୱ ଏବଂ ଯୁବଶକ୍ତିଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ଗଠିତ ବିଶାଳ
ମାନବସ୍ରୋତ ସାରା ସହରରେ ସୃଷ୍ଟି କରିଥିଲା ଏକ ନବ ଜାଗରଣ । ଯୁବଶକ୍ତିର ସାମର୍ଥ୍ୟ ଓ
ସଚେତନତାରେ ଉଦବୁଦ୍ଧ ହୋଇଥିଲେ ତମାମ କଟକବାସୀ । ଏଡ୍ସର ପଞ୍ଝା ଯେ କେତେ ଭୟାବହ, ତାହା ସେମାନେ
ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ପ୍ରଦର୍ଶିତ ବିଭିନ୍ନ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଦ୍ୱାରା
ମର୍ମେ ମର୍ମେ ଅନୁଭବ କରିଥିଲେ ।
ଉକ୍ତ ସଚେତନତା
ଶୋଭାଯାତ୍ରାଟି ଠିକ୍ ଏସସିବି ମେଡିକାଲ କଲେଜ ଏବଂ ହସ୍ପିଟାଲ ପରିସରରୁ ବାହାରିଥିଲା । ଏଥିରେ
କଟକ ବଡ଼ ମେଡିକାଲର ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀ ଏବଂ ଫାକଲ୍ଟି ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିଥିବାବେଳେ ସେମାନଙ୍କ ସହ
ନରାଜସ୍ଥିତ ଶ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ନର୍ସିଂ ବିଭାଗର ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନେ ମଧ୍ୟ ସାମିଲ
ହୋଇଥିଲେ । ସମାଜରେ ଏଡ୍ସକୁ ନେଇ ସଚେତନତା ସୃଷ୍ଟି କରିବା ସହ ଏହି ଶୋଭାଯାତ୍ରାରେ ଭାଗ
ନେଇଥିବା ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନେ ସହରର ବିଭିନ୍ନ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ସ୍ଥାନରେ ଏଡ୍ସ ବିରୋଧୀ
ସ୍ଲୋଗାନମାନ ଦେଇଥିଲେ । ଏଡ୍ସ ନିର୍ମୂଳ ପାଇଁ ଏକାଠି ହେବା ସହ ଏକ ସୁନ୍ଦର ଭବିଷ୍ୟତ ଗଠନ ପାଇଁ
ଆହ୍ୱାନ ଦେଇଥିଲେ । ଏଥିସହ ସ୍ଥାନୀୟ ଜନସାଧାରଣ ସହଜରେ ବୁଝିପାରିବା ଭଳି ଭାଷାରେ ଏଡ୍ସର
ଭୟାବହତା ସମ୍ପର୍କରେ ବୁଝାଇଥିଲେ । ଶ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟର ନର୍ସିଂ ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀମାନେ
କଟକରେ ଏ ଧରଣର ସଚେତନତା ସୃଷ୍ଟି କରିଥିବା ଯୋଗୁଁ ବିଭାଗୀୟ ଡିନ୍ ପ୍ରଫେସର (ଡ.) ଜଇତା
ମଣ୍ଡଳଙ୍କ ସମେତ ସମସ୍ତ ନେତୃସ୍ଥାନୀୟ ବ୍ୟକ୍ତିବିଶେଷ ସେମାନଙ୍କର ଉଚ୍ଛ୍ୱସିତ ପ୍ରଶଂସା
କରିଥିଲେ ।






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