श्री श्री विश्वविद्यालय में बी.ए.एम.एस. : आधुनिक युग में आयुर्वेद का पुनर्जागरण
क्या है आयुर्वेद ? लोग कहते हैं , ' जब खान - पान गलत हो तो दवा किसी काम की नहीं होती। जब आहार सही हो तो दवा की कोई जरूरत नहीं होती। ' आयुर्वेद हमें अपने सहज स्वभाव को संजोकर रखना सिखाता है कि हम जो हैं उससे प्यार करें और उसका सम्मान करें , न कि जैसा लोग सोचते हैं या हमें बताते हैं , ' हमें कौन या कैसा होना चाहिए। ' जीवन ( आयु ) शरीर , इंद्रियों , मन और पुनर्जन्म लेने वाली आत्मा का संयोग है। यह सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है , जिसमें हजारों चिकित्सा अवधारणाएं और परिकल्पनाएं शामिल हैं। यह चिकित्सा की एक प्राकृतिक प्रणाली है , जिसकी उत्पत्ति पांच हजार साल से भी पहले भारत में हुई थी। महर्षि चरक द्वारा प्रारम्भ में लिखी गई ' चरक संहिता ' आयुर्वेद की प्रथम रचना है। तब से आयुर्वेद दुनिया भर में मानवता के संपूर्ण शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए खड़ा है। आज , यह चिकित्सा की एक अनूठी , अपरिहार्य शाखा है , एक पूर्ण प्राकृतिक प्रणाली है जो सही संतुलन प्राप्त करने के लिए आपके शरीर के ' वात , पित्त और कफ ' के निदान पर निर्भर करती है। ...